मुख्यमंत्री किसान एवं खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना

मुख्यमंत्री किसान एवं खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना : राज्य सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान “मुख्यमंत्री किसान एवं खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा” नामक एक कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका उद्देश्य कृषि मशीनरी के संचालन के कारण घायल होने या मृत्यु होने पर किसानों और खेतिहर मजदूरों को बीमा कवरेज प्रदान करना है।

 

प्रभावित किसानों को आंशिक विच्छेदन, स्थायी दिव्यांगता और मृत्यु की स्थिति में क्रमशः ₹10,000 से ₹40,000, ₹1.00 लाख और ₹3.00 लाख का मुआवजा दिया जाता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ₹40.00 लाख का बजट प्रावधान रखा गया है।

 

कृषि विपणन

“हिमाचल प्रदेश कृषि और बागवानी उत्पाद विपणन विकास और विनियमन अधिनियम, 2005” कृषि विपणन को नियंत्रित करता है। हिमाचल प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा (एच.पी.एस.ए.एम.बी.) 10 जिला ए.पी.एम.सी. राज्य में कृषि उत्पादों के विपणन के लिए गठित किए गए हैं। उत्पादकों को 71 मार्केट यार्ड (10 ए.पी.एम.सी. और 61 सब मार्केट यार्ड) द्वारा सेवा दी जाती है।

मुख्यमंत्री किसान एवं खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना

 प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत शून्य बजट प्राकृतिक खेती (पी.के.के.वाई. जेड बी.एन.एफ)

• राज्य सरकार ने खेती की लागत को कम करने के लिए “जेड.बी.एन.एफ.” को बढ़ावा देने के लिए “पी.के. के. के. वाई” पहल शुरू की है। सिंथेटिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को हतोत्साहित किया जाएगा। कीटनाशक कीटनाशी के लिए कृषि और बागवानी विभाग को आटित धन का उपयोग जैव कीटनाशक और जैव कीटनाशी को वितरित करने के लिए किया जाएगा।

 

अब तक राज्य में 1,78,643 किसानों ने 24.210 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृक्तिक खेती का विकल्प चुना है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2023-24 में 50,000 बीघा भूमि को कवर किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ₹13.00 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है।

 

पोषक अनाजों को बढ़ावा देना

• मोटे अनाज का स्वास्थ्य और पोषण संबंधी लाभों के बारे में जागरूकता के लिए वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (आई.वाई. ओ.एम.-2023) के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। मोटे अनाज की खेती करने वाले किसान उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, मोटे अनाज की खेती के अन्तर्गत् क्षेत्र को बढ़ाने के लिए परियोजना के तहत निम्नलिखित घटकों का प्रस्ताव किया गया है।

 

1. अनुदान पर बीज वितरण।
2. मिनीकिट का वितरण।
3. मोटे अनाज फूड फेस्टिवल का आयोजन।
4. उत्पादन में किसानों की क्षमता निर्माण, फसल कटाई के बाद की तकनीक और पोषण सुरक्षा में इसका उपयोग।
5. मोटे अनाज की फार्म गेट बिक्री (कैनोपी के माध्यम से)।

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हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (एच.पी.एस.सी.एस.सी.)

ग्रामीण अधोसंरचना विकास निधि (आर.आई.डी.एफ.)