हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बोर्ड परीक्षाओं में कंपार्टमेंट क्लियर न करने पर बच्चे एसओएस में शिफ्ट हो रहे हैं। क्वालिटी एजुकेशन पर हुई तीन दिवसीय कार्यशाला में यह सामने आया है कि शिक्षा बोर्ड की ओर से दो स्पेशल चांस मिलने के बावजूद भी यदि कोई छात्र कंपार्टमेंट क्लियर नहीं कर पता है तो वह यानी स्टेट ओपन स्कूल का ऑप्शन चुनता है। इस सिस्टम से बच्चे पास तो रहे हैं और उनकी कंपार्टमेंट भी क्लियर होरही है। लेकिन सबसे बड़ी दुविधा यह है कि इन स्टेट ओपन स्कूल में करवाए जाने वाले एग्जाम पर कोई सख्ती नही हैं।
ऐसे में अब उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला के डिप्टी डायरेक्टर्स को यह निर्देश जारी किए हैं कि रेगुलर एग्जाम के दौरान कंपार्टमेंट के लिए जिस तरह के नियम हैं वे एसओएस परीक्षा में भी लागू होंगे। ऐसी शिकायतें मिली है कि इस परीक्षा के दौरान ना तो कोई सख्ती होती है और ना ही सीसीटीवी कैमरा की निगरानी में यह पेपर करवाए जाते हैं।
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इसका परिणाम यह होता है कि बच्चे आसानी से परीक्षा तो पास कर जाते हैं लेकिन आने वाले समय में उनका शैक्षिक स्तर नहीं सुधर पाता है। खुद शिक्षा डॉक्टर अमरजीत शर्मा ने यह कहा कि उनके संपर्क में भी बहुत से ऐसे कर्मचारी हैं जो सॉस एसओएस एग्जाम पास करके सरकारी विभागों में नियुक्त हुए हैं।
ऐसे में अब यह तय किया गया है कि सभी तरह की एसओएस परीक्षाएं भले ही बोर्ड द्वारा करवाई जाती है लेकिन वह उन्हें परीक्षा केंदो में होगी जहां पर रेगुलर एग्जाम बच्चों के होते हैं। इसके साथ ही इन एग्जाम को भी सख्ती से लिया जाएगा और पेपर चेकिंग के दौरान सभी तरह के नियम रेगुलर परीक्षाओं की तरह ही लागू होंगे।
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