एशिया में सबसे लंबा कंकरीट कैंटिलीवर ब्रिज बागछाल इंजीनियरिंग स्किल्स का अद्भुत और बेजोड़ नमूना है। इस ब्रिज के बन जाने के बाद न केवल बिलासपुर और हमीरपुर जिला आपस में कनेक्ट हुए बल्कि पिछड़ा कोटधार क्षेत्र के लोगों के चंडीगढ़-दिल्ली आवागमन के लिए यह मार्ग बेहद सुविधाजनक है। यहां तक कि कांगड़ा जिला तक के लोग इस मार्ग के जरिए चंडीगढ़ व दिल्ली समेत अन्य जगहों के लिए आसान एवं सुलभ आवागमन का लाभ उठा सकेंगे।
330 मीटर लंबा ब्रिज झंडूता विधानसभा में कोटधार के विकास के लिए गेम चेंजर की भूमिका निभाएगा। लगभग 70 करोड़ की लागत से यह पुल बनकर तैयार हुआ है। झंडूता की जनता का दशकों का सपना पूरा हो गया है। खास बात यह है कि इस पुल का 124 मीटर हिस्सा यानी 38 प्रतिशत कार्य मात्र एक साल की अवधि में पूरा किया गया यह एक बड़ी अचीवमेंट है।
बता दें कि 2009 में किन्हीं तकनीकी कारणों के चलते पुल का कार्य बंद हो गया था और उसके बाद 2016 में तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (लोक निर्माण विभाग) नरेंद्र चौहान ने इनिशियटिव लेते हुए अप्रूवल करवाई थी। प्रक्रिया पूरी होने के बाद 2020 में दोबारा काम शुरू हो पाया। दिन रात पुल का काम चलता रहा और आज भारत का सबसे लंबा कंक्रीट कैंटिलीवर पुल बनकर तैयार है।
गोबिंदसागर झील पर निर्मित 330 मीटर लंबा यह पुल इंजीनियरिंग स्किल्स का अद्भुत और बेजोड़ नमूना है। झंडूता और नयनादेवी क्षेत्रों को आपस में जोडऩे के लिए गोबिंदसागर पर बागछाल पुल के निर्माण की मांग वर्ष 1994 में उठी थी। इस पुल का वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह ने शिलान्यास किया था। हालांकि शुरुआत में इसका काम जोरशोर से चलता रहा, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते कार्य अधूरा रह गया था।
330 मीटर लंबा पुल बनने से मरोत्तन से कीरतपुर की दूरी सिर्फ 18 किलोमीटर
गोबिंदसागर झील पर करोड़ों लागत से निर्माणाधीन सबसे लंबा कंकरीट कैंटिलीवर ब्रिज बागछाल पुल के बन जाने से लोगों के आवागमन की राह आसान हुई है। पहले कोटधार के मरोत्तन से वाया बिलासपुर-कीरतपुर के लिए लोगों को 132 किलोमीटर का सफर करना पड़ता था लेकिन इस पुल के बन जाने से मरोत्तन से कीरतपुर की दूरी मात्र 18 किलोमीटर रह गई है। इसी प्रकार झंडूता क्षेत्र के लोगों को 60 किलोमीटर की कम दूरी तय करनी पड़ती थी जबकि शाहतलाई के लोगों को 70 किलोमीटर कम सफर करना पड़ेगा। वहीं हमीरपुर व कांगड़ा जिलों के लिए जाने वाले लोगों को 40 से 45 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ेगी।
- एशिया का सबसे लंबा कंकरीट कैंटिलीवर ब्रिज तैयार
एशिया में सबसे लंबा कंकरीट कैंटिलीवर ब्रिज बागछाल इंजीनियरिंग स्किल्स का अद्भुत और बेजोड़ नमूना है। इस ब्रिज के बन जाने के बाद न केवल बिलासपुर और हमीरपुर जिला आपस में कनेक्ट हुए बल्कि पिछड़ा कोटधार क्षेत्र के लोगों के चंडीगढ़-दिल्ली आवागमन के लिए यह मार्ग बेहद सुविधाजनक है। यहां तक कि कांगड़ा जिला तक के लोग इस मार्ग के जरिए चंडीगढ़ व दिल्ली समेत अन्य जगहों के लिए आसान एवं सुलभ आवागमन का लाभ उठा सकेंगे।