Trigarta – त्रिगर्त जनपद की स्थापना भूमिचंद ने की थी। सुशर्मा उसकी पीढ़ी का 231वाँ राजा था। सुशर्म चन्द्र ने महाभारत युद्ध में कौरवों की सहायता की थी। सुशर्म चन्द्र ने पाण्डवों को अज्ञातवास में शरण देने वाले मत्स्य राजा ‘विराट’ पर आक्रमण किया था (हाटकोटी) जो कि उसका पड़ोसी राज्य था।
त्रिगर्त, रावी, व्यास और सतलुज नदियों के बीच का भाग था। सुशर्म चन्द्र ने काँगड़ा किला बनाया और नगरकोट को अपनी राजधानी बनाया। कनिष्क ने 6 राज्य समूहों को त्रिगर्त का हिस्सा बताया था। कौरव शक्ति, जलमनी, जानकी, ब्रह्मगुप्त, डन्डकी और कौन्दोप्रथा त्रिगर्त के हिस्से थे।
पाणिनी ने त्रिगर्त को आयुधजीवी संघ कहा है जिसका अर्थ है- युद्ध के सहारे जीने वाले संघ। त्रिगर्त का उल्लेख पाणिनी के अष्टाध्यायी, कल्हण के राजतरींगनी, विष्णु पुराण, बृहत्संहिता तथा महाभारत के द्रोणपर्व में भी हुआ है।
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