हिमाचल प्रदेश में इस साल से शुरू हुए यूनिवर्सल कार्टन की गुणवत्ता पर आढ़ती और बागवानों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। प्रदेश सरकार की ओर से इस वर्ष से सेब कारोबार टेलिस्कोपिक कार्टन की जगह यूनिवर्सल कार्टन में करने के निर्देश दिए गए हैं।
यूनिवर्सल कार्टन की गुणवत्ता सही न होने के चलते सेब और नाशपाती की फसल मंडी में पहुंचने से पहले ही दागी हो रही है। सेब और नाशपाती की पेटी को मंडी और मंडी से बाहरी राज्यों को भेजने के लिए ट्रक में ले जानी पड़ती हैं। टेलिस्कोपिक कार्टन की एक पेटी 12 से 13 पेटियों का भार आसानी से सह लेती थी, लेकिन यूनिवर्सल कार्टन की एक पेटी के छह से सात पेटियां रखते ही पेटी फट जाती है और पेटी में लाया फल भी दबकर खराब होना शुरू हो जाता है।
आढ़तियों के अनुसार टेलिस्कोपिक कार्टन को बनाने में जो गत्ता उपयोग किया जाता था, वह सख्त और बेहतर गुणवत्ता का होता है। उसमें आसानी से माल लाया और ले जाया जा सकता है। यूनिवर्सल कार्टन बनाने वाली कंपनी कार्टन में जो गत्ता प्रयोग कर रही है वह नरम है। इसकी वजह से वह ज्यादा भार सहन नहीं कर पा रहा है।
यूनिवर्सल कार्टन पर उठाए सवाल
सिंगल लेयर (यूनिवर्सल कार्टन) पेटी तभी कामयाब होगी जब उसका गत्ता मोटा होगा। इसलिए कार्टन बनाने वाली कंपनी को बागवानों और आढ़तियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ही यूनिवर्सल कार्टन तैयार करना चाहिए- प्रताप चौहान, प्रधान, भट्ठाकुफर, फल मंडी आढ़ती एसोसिएशन
Apple Session : Universal Cartons