Baghal Riyaasat – बाघल रियासत की स्थापना

बाघल रियासत का इतिहास

बाघल रियासत की स्थापना उज्जैन के पवार राजपूत अजयदेव ने की। बाघल रियासत गम्भर नदी के आसपास स्थित था। बाघल रियासत की राजधानी सैरी ढूंडन, डुगली और डारला रही। राणा सभाचंद राणा सभाचंद ने 1643 ई. में अर्की को बाघल रियासत की राजधानी बनाया। इन्हें बाघल रियासत का पहला शासक माना जाता है। अर्की शहर राणा सभाचंद ने स्थापित किया। 

• स्थिति- बाघल रियासत के उत्तर में मांगल, पूर्व में धामी और कुनिहार, पश्चिम में हण्डूर (नालागढ़) तथा दक्षिण में अम्बाला स्थित था।

• गोरखा आक्रमण-

राणा जगत सिंह (1778 ई.-1828 ई.) के शासनकाल में गोरखा आक्रमण हुआ। बाघल रियासत 1803 ई. से 1815 ई. तक गोरखों के नियंत्रण में रही। अर्की गोरखों का मुख्यालय रहा। राणा जगत सिंह ने 7 वर्षों तक नालागढ़ रियासत में शरण ली। ब्रिटिश सरकार ने 1815 ई. में बाघल रियासत से गोरखों का नियंत्रण हटाया। संसार चंद के पुत्र अनिरुद्ध चंद ने सिक्ख युद्ध के भय से राणा जगत सिंह के पुत्र के यहाँ शरण ली।

 

• ब्रिटिश सरकार 1857 ई. के विद्रोह में राणा किशन सिंह (1840-1876 ई.) ने अंग्रेजों की सहायता की। अंग्रेजों ने किशन सिंह को 1860 ई. में ‘राजा’ का खिताब दिया। बाघल रियासत के अंतिम शासक राजेन्द्र सिंह थे। बाघल रियासत के जगतगढ़ दुर्ग का आधुनिक नाम ‘जतोग’ (शिमला) है।

 

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