बुशहर रियासत की स्थापना श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न ने की थी। वह अपने पुत्र अनिरुद्ध (श्रीकृष्ण का पोता) का विवाह शोणितपुर (सराहन) के राजा बाणासुर की पुत्री से करने आये थे। बाणासुर की मृत्यु के बाद प्रद्युम्न ने बुशहर रियासत की स्थापना की और कामरू को बुशहर रियासत की राजधानी बनाया। प्रद्युम्न के 110वें वंशज राजा चतर सिंह ने राजधानी “कामरू” से “सराहन” स्थानांतरित की।
राजा केहरी सिंह-राजा केहरी सिंह को “अजानुबाहु” कहा जाता था क्योंकि वह सीधे खड़े होकर अपने घुटने छू सकता था। औरंगजेब ने केहरी सिंह (1639-1696 ई.) को ‘छत्रपति’ के खिताब में सम्मानित किया था। राजा केहरी सिंह ने लवी मेला शुरू करवाया। केहरी सिंह को हांगरांग घाटी तिब्बत से जागीर के रूप में मिली थी। उसने तिब्बत के क्षेत्र की एक संधि द्वारा वर्तमान सीमा तक पीछे कर दिया था।