Child Protection Services’ sub-scheme under Umbrella ‘Integrated Child Development Services’ Scheme.

अम्बरेला ‘समेकित बाल विकास सेवाएं’ योजना के अन्तर्गत ‘बाल संरक्षण सेवाएं’ उप-योजना

Child Protection Services’ sub-scheme under Umbrella ‘Integrated Child Development Services’ Scheme.

हिमाचल प्रदेश में ‘बाल संरक्षण सेवाएं’ योजना (30-11-2017 तक इस योजना का नाम ‘समेकित बाल संरक्षण योजना था) का आरम्भ दिनांक 18-09-2012 को हुआ। इस योजना के अंतर्गत कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों के कल्याण और उन परिस्थितियों तथा गतिविधियों की सुभेद्यता में कमी लाने में योगदान देना, जो बच्चों के साथ दुर्व्यव्हार, उपेक्षा, शोषण, उन्हें बेसहारा छोड़ देने तथा अलग कर देने की ओर जाते है। इसे अग्रलिखित द्वारा अर्जित किया जाएगा।

i. बाल संरक्षण सेवाओं तक बेहतर पहुंच और उनकी बेहतर गुणवत्ता;
ii. बाल अधिकारों की वास्तविकता, भारत में उनकी स्थिति और सुरक्षा के बारे में सार्वजनिक जागरूकता में वृद्धि,
iii. बाल सरंक्षण की स्पष्ट जवाबदेही और प्रबलित दायित्वः
iv. कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों को वैधानिक और सहायक सेवाओं की आपूर्ति के लिए सभी सरकारी स्तरों पर सुस्थापित और कार्यशैली संरचना;
V. प्रचालन साक्ष्य पर आधारित निगरानी और मूल्यांकन करना।

 

योजना के विशिष्ट उद्देश्यः-

i. अनिवार्य सेवाओं को संस्थागत बनाना और संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण ।
ii. सभी स्तरों पर क्षमताएं बढ़ाना।
iii. बाल संरक्षण सेवाओं के लिए डेटाबेस और ज्ञान आधार सृजन करना।
iv. परिवार और समुदाय स्तर पर बाल सरंक्षण का सुदृढ़ीकरण।
V. सभी स्तरों पर उपयुक्त अंतर क्षेत्रीय प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना।
vi. सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना।

 

बाल संरक्षण सेवाएं (सी०पी०एस०) योजना एक केन्द्रीय प्रायोजित योजना है इसलिए हिमाचल सरकार और केन्द्र सरकार के बीच में दिनांक 27-01-2011 को ज्ञापन समझौता (MOU) हस्ताक्षरित किया गया ताकि योजना का क्रियान्वयन किया जा सके। इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित इकाईयों को स्थापित किया गया हैः-

1. राज्य बाल संरक्षण संस्था हिमाचल प्रदेश में दिनांक 28-02-2012 को हिमाचल प्रदेश संस्था पंजीकरण अधिनियम 2006 के अंर्तगत पंजीकृत किया गया और 18 सितंबर 2012 को राज्य बाल संरक्षण संस्था ने कार्य शुरू कर दिया।

2. राज्य परियोजना सहायक यूनिट की स्थापना 18 सिंतबर 2012 में की गई और इसकी भूमिका निम्न प्रकार से है:-

i. राज्य में बाल संरक्षण सेवायें योजना का क्रियान्वयन आरम्भ करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करना;

ii. बाल संरक्षण सेवायें योजना (सी० पी० एस०) के अंतर्गत संकल्पित अपेक्षित संगठनों तथा बाल सरंक्षण प्रक्रमों अर्थात राज्य बाल संरक्षण संस्था, राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण, जिला बाल सरंक्षण संस्था, दत्तक ग्रहण समन्वयन अभिकरण (ए० सी० ए०) विशेष दत्तक ग्रहण अभिकरण (एस० ए० ए०) जिला बाल सरंक्षण समिति (डी० सी० पी० एस०) इत्यादि की स्थापना को सुनिश्चत करना;

iii. जिलों में बाल संरक्षण संस्थाओं की स्थिति तथा उनके कार्यकरण के प्रमुख तत्वों के बारे में राज्य स्तरीय सूचना का संग्रहण, संकलन करना तथा उसे नियमित रूप से अद्यतन करना;

iv. जिला बाल सरंक्षण संस्था की सहायता से एक राज्य स्तरीय बाल ट्रैकिंग प्रणाली तथा खो गए बच्चों की वेबसाइट की स्थापना तथा प्रबंधन को सुनिश्चत करना;

V. चयनित जिलों में आधार रेखा सर्वेक्षण करना जहां आवश्यक हो, कार्यक्रम सुधार के प्रयोजनार्थ आई०सी०पी०एस के प्रभाव के आंकलन हेतु अनुवर्तन करना;

vi. राज्य सरकार के संबद्ध विभागों के सम्बन्धित अधिकारियों/ पदाधिकारियों का प्रशिक्षण और सुग्राहीकरण का संचालन करना;

vii. सी०पी०एस० के आरंभिक क्रियान्वयन के लिए केन्द्र में तथा चयनित राज्यों में तकनीकी क्षमता निर्माण सुनिश्चित करना;

viii सी०पी०एस० संबंधी जागरूकता सृजन सामग्री का विकास तथा प्रसार करना;

ix सर्वोत्तम पद्धतियों का प्रलेखन तथा प्रसार करना;

X. संपूर्ण राज्य में सी० पी० एस० के क्रियान्वयन का अनुवीक्षण तथा मूल्यांकन करना ।

 

3. राज्य दत्तकग्रहण संसाधन अभिकरण (एस०ए०आर०ए): राज्य में राज्य दत्तकग्रहण संसाधन अभिकरण की स्थापना 18-09-2012 को की गई है। इस अभिकरण के निम्नलिखित उद्देश्य 一

1. राज्य में दत्तकग्रहण कार्यक्रम का समन्वयन, अनुवीक्षण तथा विकास ।

ii. जहां विशेष दत्तक ग्रहण अभिकरण अस्तित्व में नहीं है, वहां दत्तक ग्रहण समन्वयन अभिकरण का गठन सुसाध्य बनाना तथा मान्यता हेतु केन्द्रीय दत्तक ग्रहण अभिकरण को अनुशंसा करना।

iii. विशेष दत्तक ग्रहण अभिकरण के गठन, को कानूनी सहायता प्रदान करना तथा ऐसे अभिकरणों की एक व्यापक सूची का अनुरक्षण करना।

iv. सुनिश्चित करना कि बच्चों के समस्त दत्तकग्रहण/स्थायी व्यवस्थापन भारत के उच्चतम न्यायालय तथा भारत सरकार के कानूनों और दिशा-निर्देशों के अनुसार किए जाए।

V. केन्द्रीय दत्तक ग्रहण अभिकरण के समन्वयन में देश के भीतर दत्तकग्रहण को बढ़ावा देना तथा दत्तकग्रहण को विनियमित करना ।

vi. बाल ट्रैकिंग प्रणाली के भाग के रूप में जिला बाल संरक्षण समितियों तथा ए.सी.ए. की सहायता से दत्तकग्रहण योग्य बच्चों के एक केन्द्रीकृत (राज्य विशिष्ट) वेबाधित आंकड़ाधार का अनुरक्षण करना।

vii. जिला बाल संरक्षण समितियों तथा ए.सी.ए. की सहायता से दत्तक ग्रहण करने वाले संभावी माता-पिता के एक केन्द्रीकृत (राज्य विशिष्ट) वेबाधित आंकड़ाधार का अनुरक्षण करना।

viii. ए.सी.ए. तथा एस.ए.ए. के कार्य का पर्यवेक्षण करना तथा राज्य के भीतर उनका समन्वयन सुनिश्चित करना।

ix. सुनिश्चित करना कि सभी दत्तक ग्रहण करने वाले संभावित माता-पिता का पंजीकरण डी.सी.पी.एस./एस.ए.ए./ए.सी.ए./एस.ए.आर.ए. में हो गया है।

X. सी.ए.आर.ए. को मासिक आधार पर व्यापक दत्तकग्रहण आंकड़े उपलब्ध करवाना।

xi. सभी अभिकरणों तथा संबद्ध प्रणालियों की सुग्राहिता सुनिश्चित करना।

xii. दत्तक ग्रहण प्रणाली में कार्य करने वालों की क्षमता का वर्धन करना।

xiii. जब भी दत्तकग्रहण कार्यक्रम में कुव्यवहार घटित हो, चाहे वे लाइसेंसशुदा / मान्यताप्राप्त दत्तकग्रहण अभिकरणों द्वारा किए जाएं तथा गैर लाईसेंसशुदा व्यक्तियों अथवा संगठनों द्वारा किए जाएं, उनके विरूद्ध आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई करना।

xiv. राज्य में दत्तकग्रहणं के संवर्धन के लिए प्रचार तथा जागरूकता का सृजन करना।

xv. आई.ई.सी. सामग्री का विकास तथा प्रसार करना।

4. जिला बाल संरक्षण इकाईयांः

Child Protection Services' sub-scheme under Umbrella
Child Protection Services’ sub-scheme under Umbrella

प्रदेश में सभी जिलों में जिला बाल संरक्षण इकाईयों की स्थापना की जा चुकी है।

5. प्रदेश में सभी जिलों में बाल कल्याण समितियों और किशोर न्याय बोर्डों का गठन किया जा चुका है। इन संस्थाओं में बच्चों के बारे में निर्णय लिये जाते हैं। बाल कल्याण समितियों में उन बच्चों को पेश किया जाता है जिनको देखभाल और सुरक्षा की जरूरत होती है। इसी प्रकार किशोर न्याय बोर्डों में उन बच्चों को पेश किया जाता है जो अपराधित गतिविधियों में संलिप्त हैं।

6. प्रदेश में राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय, खण्ड स्तरीय और गांव स्तरीय बाल संरक्षण समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों द्वारा सी.पी.एस. योजना का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाता है।

7. प्रदेश में Child Track Portal की स्थापना की जा चुकी है। Portal में सभी बाल गृहों में रह रहे बच्चों का विवरण डाला गया है। इसके इलावा इस Portal में बाल कल्याण समितियों और किशोर न्याय बोर्डों में प्रस्तुत बच्चों का विवरण डाला जा रहा है ताकि गुमशुदा बच्चों के बारे में जानकारी हासिल की जा सके।

8. सी.पी.एस. योजना के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रकार की कार्यशालाओं और जागरूकता शिविरों का भी आयोजन किया जा रहा है।

 

9. सी.पी.एस. योजना के अन्तर्गत संस्थागत सेवाएं प्रदान करने के लिए 46 बाल देखभाल संस्थानों
का सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्र में संचालन किया जा रहा है ताकि बच्चों की देख-भाल एवं सुरक्षा हेतु
संतुलित सेवाएं प्रदान की जा सकें ।

10. गैर संस्थागत सेवाओं के अन्तर्गत दत्तकग्रहण, अनुवर्ती देख-भाल पालन शिशु स्वागत केन्द्र और पालन-पोषण देख-भाल आदि सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

11. इस योजना के अन्तर्गत विभिन्न विभाग एवं गैर-सरकारी संस्थाएं जो बच्चों के लिए कार्य कर रहे हैं उनके साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है। जैसे चाईल्ड लाईन, एन० जी० ओ०, शिक्षा विभाग आदि।

सम्पर्क अधिकारीः कार्यक्रम प्रबन्धक, हि०प्र० राज्य बाल संरक्षण समिति, शिमला संबन्धित जिला बाल संरक्षण अधिकारी ।

 

Author: Ram Bhardwaj