1857 के बाद हिमाचल प्रदेश में संवैधानिक एवं प्रशासनिक विकास

Constitutional and administrative development in Himachal Pradesh after 1857

1857 के बाद हिमाचल प्रदेश में संवैधानिक एवं प्रशासनिक विकास

1857 ई. की क्रांति के बाद हिमाचल एवं समस्त भारत में ‘भारत सरकार अधिनियम, 1858’ लागू किया गया। 1 नवम्बर, 1858 को महारानी विक्टोरिया घोषणा पत्र की घोषणा लार्ड कैनिंग ने इलाहाबाद में की। शिमला में भी इसका प्रकाशन हुआ तथा शहर के मुख्य स्थानों पर इसे चिपकाया गया।

 

1857 के बाद हिमाचल प्रदेश में संवैधानिक एवं प्रशासनिक विकास
Revolt of 1857

1858 के अधिनियम के अनुसार हिमाचल की प्रशासनिक व्यवस्था (Administrative system in Himachal according to 1858 Act)-

 

भारत सरकार अधिनियम, 1858 के अन्तर्गत् तत्कालीन हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्रों पर ब्रिटिश सरकार का और सुदृढ़ नियन्त्रण स्थापित हो गया और उन्होंने निम्नलिखित ढंग से वहाँ प्रशासनिक व्यवस्था लागू की-

• उस समय हिमाचल में दो प्रकार का शासन प्रबन्ध प्रचलित था। पंजाब हिल स्टेट्स में नूरपुर, काँगड़ा, जसंवा, गुलेर, सिब्बा, दातारपुर, कोटला, कुल्लू. भंगाहल, लाहौल और स्पीति की रियासतें अपना स्वतन्त्र अस्तित्व खो चुकी थीं। अँग्रेज़ों ने इन रियासतों को जीत कर ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया था। इन सभी रियासतों के क्षेत्र को संगठित करके एक प्रशासनिक ईकाई के रूप में ‘जिला काँगड़ा’ बना दिया गया। इसका प्रशासन डिप्टी कमिश्नर काँगड़ा के नियंत्रण में था।

 

• इसके अतिरिक्त शिमला हिल स्टेट्स में जतोग, स्पाटु, कसौली, डगशाई, कोटखाई, भरौली, सनावर एवं शिमला शहर के अलग-अलग क्षेत्रों को मिलाकर ‘जिला शिमला’ बना दिया गया था, जो डिप्टी कमिश्नर शिमला के नियंत्रण में था। उपरोक्त जिला काँगड़ा जिला शिमला और चम्बा रियासत का डलहौजी एवं बकलोह छावनी क्षेत्र अँग्रेजों के प्रत्यक्ष नियंत्रण में थे।

 

• देशी शासकों के अधीन लघु राज्यों में शिमला हिल स्टेट्स और सतलुज के आर-पार की रियासतें आती थीं। शिमला हिल स्टेट्स में बुशैहर, क्योंथल, जुब्बल, कुमारसैन, कुनिहार, वाघल, बघाट, बलसन, शांगरी, कुठाड़, बेजा, भज्जी, दारकोटी, धामी, मांगल, महलोग, थरोच, नालागढ़, खनेटी, देलठ. ठियोग, घूंड, मधान, रतेश और रावीं रियासतें आती थीं और इनमें देशी शासकों का प्रशासन था।

 

• छोटी ठकुराइयों में करांगला, खनेटी, भरौली, देलठ और शांगरी आदि बुशैहर रियासत के अधीन थीं। इस प्रकार रावी, ढाडी और सारी पर जुब्बल के शासक का आधिपत्य था। ठियोग, घूंड, मधान, रतेश और कोटी के शासक क्योंथल राज्य के अधीन थे।

1857 के बाद हिमाचल प्रदेश में संवैधानिक एवं प्रशासनिक विकास
Revolt of 1857

• इन ठकुराइयों का अपना अलग और स्वतन्त्र अस्तित्व कभी नहीं रहा था। ये ठकुराइयां प्रायः बड़े राज्यों, जैसे बुशहर, सिरमौर, नालागढ़, क्योंथल, बिलासपुर और जुब्बल के प्रशासकों के प्रभुत्व में थी। यद्यपि इन रियासतों ने अँग्रेजों का प्रभुत्व स्वीकार कर लिया परंतु ये अपने आन्तरिक शासन में स्वायत्त थी। ब्रिटिश सरकार ने इनके नियन्त्रण के लिए सुपरिंटेंडेंट और कमिश्नर, शिमला हिल स्टेट्स को नियुक्त किया।

 

• सतलुज पार की कुछ रियासतों में मण्डी, सुकेत, बिलासपुर, चम्बा और कुटलैहड़ में भी देशी राजाओं का शासन था। अँग्रेज़ों के प्रभुत्व में इनके नियन्त्रण के लिए ‘सुपरिंटेंडेंट सिस सतलुज स्टेट्स’ की नियुक्ति की गई थी। इन सभी रियासतों पर पंजाब सरकार द्वारा नियुक्त ब्रिटिश अधिकारियों का नियन्त्रण रहता था। इस विभाग के अधिकारी; जैसे-पॉलीटिकल रेजिडेंट्स, एजेन्ट्स और सुपरिंटेंडेंट रियासतों के प्रशासन का निरीक्षण रखते थे। ये सभी अधिकारी वायसराय के प्रति उत्तरदायी थे।

 

• भारत सरकार अधिनियम, 1858 के अन्तर्गत् हिमाचल की सभी रियासतों के शासकों को अपने राज्यों के आन्तरिक शासन प्रबन्ध में स्वायत्तता प्रदान की गई।

1857 का विद्रोह : पहाड़ी रियासतों का सहयोग

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Author: Ridhi