शिमला का इतिहास – 1860-1870 ई. की घटनाएँ-
लार्ड केनिंग 1860 ई. में शिमला आने वाले पहले वायसराय थे। लार्ड जॉन लॉरेंस के प्रयास से 1864 ई. में शिमला भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनी। कसौली के सनावर में 1861 ई. में लॉरेंस असाइलम बनाया गया। शिमला 1864 से 1947 ई. तक भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही। 1863 ई. में पीटरहॉफ में रूकने वाले पहले वायसराय लार्ड एल्गिन थे।
• शिमला का इतिहास – 1870-1880 ई. की घटनाएँ-
1871 ई. में शिमेला को प्रथम श्रेणी नगरपालिका का दर्जा प्राप्त हुआ। शिमला 1871 से 1947 ई. तक पंजाब सरकार का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय रहा। बार्नस कोर्ट 1879 ई. से पंजाब के उपराज्यपाल का आवास बना। 1876 ई. में लार्ड लिटन अपनी पत्नी के साथ पीटरहॉफ में रूके थे। रिज मैदान पर ‘टाउन हाल’ बनाने का प्रस्ताव 1880 ई. में आया जिसके बाद ‘हैनरी ड्राविन’ के डिजाइन से 1888 ई. में ‘टाऊन हाल’ बनकर तैयार हुआ। शिमला के रिज मैदान में ‘भूमिगत जलाशय टैंक’ 1880 ई. में बना। अलांयस बैंक ऑफ शिमला (शिमला का पहला बैंक) का 1874 ई. में गठन हुआ।
• शिमला का इतिहास – 1880-1900 ई. की घटनाएँ-
1882 ई. में लॉर्ड रिप्पन ने रिप्पन अस्पताल की नींव रखी जिसे 1885 ई. में लॉर्ड इफरिन ने जनता को समर्पित किया। शिमला के रोथनी कैसल में ए.ओ. ह्यूम ने 1883 ई. में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का विचार रखा। सन् 1887 ई. में महारानी विक्टोरिया के जयंती वर्ष पर गैयटी थियेटर खोला गया जिसमें “टाइम विल टैल” प्रथम नाटक का मंचन हुआ। 1880 ई. में शिमला में ‘चार्ल्सटन’ घर खोला गया। लार्ड डफरिन के समय ऑब्जरवेटरी पर 1888 ई. को वाइसरीगल भवन तैयार हुआ।
सर ड्ररण्ड मोरटीमोर ने 1888 ई. में अन्नाडेल मैदान पर ड्ररण्ड कप शुरू करवाया जिसे बाद में शिमला से कलकत्ता ले जाया गया। कालका-शिमला रेलवे लाइन माल ढुलाई के लिए 1891 ई. में सर्वप्रथम खोली गई। इस रेल लाइन के मुख्य इंजीनियर एच. एस. हैरिंगटन थे। भालखू राम ने छड़ी द्वारा इस रेल लाइन का सर्वे किया था। इस रेल लाइन पर पहली ट्रेन 1903 ई. में चली जिसे लार्ड कर्जन ने झण्डी दिखाई।