हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने पर डॉक्टरों को पीजी करने के लिए चार इंसेंटिव मार्क्स का लाभ दिया जाएगा। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने कहा कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने वाले डॉक्टरों पर दोहरा नियम नहीं बना सकती।
अदालत के आदेशों के बाद राज्य सरकार ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं करने वाले सभी डॉक्टरों पर 2023 के नियम लागू होंगे।
सरकार ने वर्ष 2023 में एक पॉलिसी बनाई थी।
इसके तहत दो नियम बनाए गए। पहला, जो डॉक्टर 2019 से पहले के हैं, उनको 2019 की नीति के तहत अंक नहीं दिए जाएंगे। दूसरा, 2019 के बाद जिनकी नियुक्ति की गई है, उन्हें 2023 की पॉलिसी के तहत रखा जाएगा।
डॉ. पारस ने 2023 के इन्हीं नियमों को अदालत में चुनौती दी थी। प्रदेश सरकार की 2017 की पॉलिसी के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए अनिवार्य कर दिया था। राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद ने 2018 में ग्रामीण शब्द को जोड़ा।
उससे पहले जो डॉक्टर ग्रामीण इलाकों में काम करते थे, उन्हें इसका लाभ नहीं दिया जाता था। परिषद के नियम 19.4 के तहत राज्य में कार्यरत डॉक्टरों के लिए पॉलिसी बनाई गई। इसके तहत एक साल ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने वाले को जनजातीय क्षेत्र में 8 अंक, हार्ड एरिया में 10 और ग्रामीण क्षेत्रों में 4 नंबर देने के लिए इंसेंटिव का लाभ दिया गया।
पीजी करने के लिए डाॅक्टरों को इंसेंटिव प्रमाणपत्र देना पड़ता है। 27 फरवरी 2019 में राज्य सरकार ने पॉलिसी बनाई, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने के 2 नंबर दिए जाने का प्रावधान किया गया। अब हाईकोर्ट के आदेशों के बाद ही ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए सभी डाॅक्टरों पर एक जैसी पॉलिसी लागू होगी।
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