हिमाचल में GST फर्जीबाड़ा रोकने को राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने आधार एथेंटिकेशन के लिए सॉफ्टवेयर खरीदने को बजट मुहैया करवाया है और अब आबकारी कराधान विभाग साफ्टेवयर की मदद से जीएसटी पंजीकरण करवाने वाली कंपनियों के आधार कार्ड की पहचान करेगा। हिमाचल में आधार ऑथेंटिकेशन के बगैर जीएसटी नंबर पंजीकृत नहीं होगा। आगामी दो महीनों में सॉफ्टवेयर की खरीद हो जाएगी और इसके बाद आधार विभाग हिमाचल में जीएसटी पंजीकरण के लिए आने वाले आवेदनों को सॉफ्टवेयर के माध्यम से अपडेट करेंगे। इस सिस्टम के शुरू होने से फर्जी पंजीकरण पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
गौरतलब है कि हिमाचल में करीब 200 फर्जी कंपनियों के पंजीकरण का खुलासा हुआ है। इन कंपनियों के पंजीकरण के लिए जिन लोगों के आधार कार्ड लगाए गए हैं, उनमें ज्यादातर आम तबके के हैं। भविष्य में सॉफ्टवेयर के माध्यम से पंजीकरण प्रक्रिया शुरू होने के बाद ऐसे आवेदनों की पहचान हो पाएगी। हिमाचल में जीएसटी पंजीकरण जांच की सेकेंड ड्राइव पूरी हो चुकी है। इसमें संदिग्ध पाई गई कंपनियों के धरातल से अब आंकड़े जुटाए गए हैं। पहली ड्राइव में करीब साढ़े 10 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था।
भविष्य में जीएसटी पंजीकरण के लिए आवेदन करने वाली बाहरी राज्य की एजेंसियों की जांच आइरिस स्कैन, फिंगर और आधार की जांच से होगी। इसके अलावा फेस रीडिंग के लिए वेब कैमरे का इस्तेमाल किया जाएगा। यह व्यवस्था शुरू होते ही हिमाचल देश का चौथा ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां बायोमीट्रिक आधार ऑथेंटिकेशन को अनिवार्य किया जा चुका है। इस योजना की शुरुआत सबसे पहले गुजरात में हुई थी। इसके बाद आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड में भी आधार ऑथेंटिकेशन का प्रावधान वहां की राज्य की सरकारें पहले ही कर चुकी हैं।
इन दिनों देश भर में चलाए जा रहे सेकेंड ड्राइव फेक रजिस्ट्रेशन में हिमाचल के लिए भी केंद्र से खतरे के संकेत मिले हैं। प्रदेश में 200 जीएसटी पंजीकृत कंपनियों को संदिग्ध पाया गया है और इनकी जांच के आदेश केंद्र सरकार ने दिए हैं। उधर, आबकारी कराधान विभाग के अधिकारियों की मानें तो आधार ऑथेंटिकेशन के लिए सॉफ्टवेयर की जरूरत है। इस सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए बड़े बजट की जरूरत थी। अब सरकार ने बजट मंजूर कर दिया है।