Hill States and their relations with the Mughals

(ix) मुगलों का हिमाचल पर प्रभाव-

 

पहाड़ी रियासतों के मुगलों के सम्पर्क में आने से प्रशासनिक सुधार शुरू हुए। मुगल सिक्के पहाड़ों में प्रचलित हुए। पहाड़ी राज्यों में निश्चित लगान प्रणाली लागू हुई। मुगल-राजपूत सैन्यविधि पहाड़ी राज्यों ने अपनाई। कला और साहित्य का भी विकास हुआ।

वास्तुकला पर प्रभाव-

मुगलों से पहले पहाड़ी वास्तुकला पर मैदानी वास्तुकला का प्रभाव था। मुगलकाल में पहाड़ी स्थापत्य कला में अधिक परिवर्तन हुए क्योंकि मुगल शासकों के पहाड़ी रियासत से ज्यादा गहरे संबंध थे। पहाड़ी राजा मुगल वास्तुकला को आदर्श मानकर किलों का निर्माण करने लगे। नूरपुर किले में स्तम्भ और टेक मुगल इमारतों (लाहौर किले) जैसे थे। इस किले की पच्चीकारी लाहौर किले से मिलती-जुलती है। चम्बा के भरमौर स्थित कारदार कोठी के लकड़ी के दरवाजों के उभरे हुए पैनल पर मुगलकला का गहरा प्रभाव दिखता है।

चित्रकला पर प्रभाव-

मुगल साम्राज्य के पतन का अच्छा प्रभाव पहाड़ी चित्रकला एवं कलाकारों पर पड़ा। पहाड़ी राज्यों ने मुगल कलाकारों को आश्रय प्रदान किया। इन कलाकारों से लाभान्वित पहाड़ी राजा थे-चम्बा के राजा राज सिंह (1764-94), उम्मेद सिंह (1748-64), काँगड़ा के राजा घमण्ड चंद (1751-73), बिलासपुर के राजा देवीचंद (1714-78)। अठारहवीं शताब्दी के मध्य में लगभग हर पहाड़ी राज्य में कला का अभूतपूर्व विकास हुआ।

पहनावे पर प्रभाव- पहाड़ों के कुछ राजपरिवार आज भी मुगलकाल के चोगे पहनते हैं। कपड़ों पर की गई नक्काशी पर भी मुगल प्रभाव दिखाई
देता है।

भाषा- लिपि पर प्रभाव अनेक पहाड़ी राजाओं ने उर्दू को अपनी दरबारी भाषा के रूप में स्वीकार किया। इन राज्यों में सम्पूर्ण अभिलेख उर्दू में रखे जाते थे।

• राजनैतिक एवं प्रशासनिक प्रभाव-

मुगल शासकों ने पहाड़ी राज्यों को अपने राज्य का प्रबंध करने की पूरी आजादी दी। पहाड़ी राजा मुगल बादशाह को सूचित किए बिना किले बनवाते थे। आपसी झगड़ों का निपटारा करवाने के लिए पहाड़ी शासक मुगल हस्तक्षेप प्राप्त करते व मांगते थे।

 

प्रत्येक पहाड़ी राज्य से मुगल वार्षिक कर वसूल करते थे। काँगड़ा वर्ग की रियासतों के लिए चार लाख वार्षिक कर था। प्रत्येक राजा को अपने सिहांसनारोहण के समय निश्चित राशि दिल्ली भेजनी होती थी जिसके बाद उन्हें खरीता या खिल्लत (सिहांसनारोहण का अधिकार पत्र) पोशाक और शाही भेटों के साथ दिया जाता था। पहाड़ी राजाओं के विद्रोहों को ज्यादातर मुगल शासकों ने क्षमा कर दिया था। मुगल शासक पहाड़ी राजाओं के पुत्रों एवं रिश्तेदारों को बंधक के तौर पर मुगल दरबार में रखते थे ताकि भविष्य में होने वाले विद्रोहों को रोका जा सके। यह प्रथा अकबर द्वारा शुरू की गई।

 

 

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