(vii) अहमदशाह अब्दाली और घमण्डचंव –
अहमदशाह दुर्रानी ने 1748 से 1788 ई. के बीच 10 बार पंजाब पर आक्रमण कर मुगलों की कमर तोड़ दी। राजा घमण्डचंद ने इस मौके का फायदा उठाकर 1752 ई. में काँगड़ा और दोआब के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। काँगड़ा किला अब भी मुगलों के पास था। नवाब सैफ अली खान काँगड़ा किले के अंतिम मुगल किलेदार थे। अहमद शाह दुर्रानी ने 1759 ई. में घमण्डचंद को जालंधर दोआब का नाजिम बना दिया। घमण्डचंद का सतलुज से रावी तक के क्षेत्र पर एकछत्र राज हो गया।