पशुपालन कृषि और संबद्ध गतिविधियों के अन्र्तगत एक महत्वपूर्ण उप-क्षेत्र है। वर्ष 2023-24 में इसने कुल जी.एस.वी.ए. का 1.31 प्रतिशत और कृषि और संबद्ध क्षेत्र जी.एस.वी.ए. का 10 प्रतिशत योगदान दिया है। हिमाचल प्रदेश में पशुधन द्वारा सृजित सकल मूल्य उत्पादन (जी.वी.ओ.) पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ा है। यह वित्त वर्ष 2018-19 में ₹5,496 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 (अग्रिम अनुमान) के दौरान ₹6,979 करोड़ हो गया।
• 2023-24 में पशुधन क्षेत्र में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। 2018-19 से 2023-24 की अवधि के दौरान, पशुधन क्षेत्र ने फसल क्षेत्र की 3.6 प्रतिशत की तुलना में 6.7 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर्ज की।
• राज्य भर के प्रजनकों के पास भेड़ और ऊन की गुणवत्ता में सुधार के लिए उन्नत भेड़ प्रजनन फार्मों तक पहुंच है, सरकारी भेड प्रजनन फार्म ज्यूरी (शिमला), ताल (हमीरपुर), और करछम (किन्नौर) राज्य के प्रजनकों को बेहतर भेडों की आपूर्ति कर रहे हैं। मंडी जिले के नगवाई में एक राम केंद्र भी काम कर रहा है जहां उन्नत भेड़ों का पालन किया जाता है और क्रास ब्रीडिंग के लिए प्रजनकों को आपूर्ति की जाती है।
• हिमाचल में शुद्ध हॉगट की बढ़ती मांग और सोवियत मैरिनो और अमेरिकन रैम्बौइलेट की स्थापित लोकप्रियता को देखते हुए, राज्य ने मौजूदा सरकारी फार्मों में शुद्ध प्रजनन की ओर रुख किया है, और 9 भेड़ और ऊन विस्तार केंद्र चरवाहों, के कल्याण के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं।
2023-24 के दौरान ऊन का उत्पादन 1,500 टन होने की संभावना है। प्रजनकों को खरगोशों के वितरण के लिए कंदवाडी (कांगड़ा) और नगवाई (मंडी) में अंगोरा खरगोश फार्म काम कर रहे हैं।
कृत्रिम गर्भाधारण का विवरण
घोड़ों की स्पीति नस्ल को जारी रखने के उद्देश्य से लाहौल और स्पीति जिले के लरी में एक घोड़ा प्रजनन फार्म स्थापित किया गया है। 2023-2024 वर्ष की शुरुआत से दिसम्बर, 2023 तक 84 घोड़ों को रखा गया है। उसी स्थान पर लरी में घोड़े के प्रजनन फार्म के साथ, एक याक प्रजन्न फार्म स्थापित किया गया है। वर्ष 2023-2024 के दौरान दिसम्बर, 2023 तक कुल याकों की संख्या 59 थी। फीड एवं चारा योजना के अंर्तगत वर्ष 2023-24 में 31 दिसम्बर, 2023 तक 13 लाख चारा जड़, 2 लाख चारा पौधों का वितरण किया जा चुका है।
हिमाचल प्रदेश में कुक्कुट विकास योजना
Milk production and per capita availability of milk in Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश में पशुधन क्षेत्र का विकास