हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से हटाए गए छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की विधानसभा की सदस्यता नहीं जाएगी। कांग्रेस के ये नेता विधायक बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल की कांग्रेस सरकार को बड़ी राहत दी है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने सीपीएस नियुक्त किए विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही शुरू करने के हाईकोर्ट के निर्देश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है।
हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए कहा कि इस बीच विधायकों को सीपीएस नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा है कि अगर ऐसी नियुक्तियां की गईं तो उन्हें अवैध माना जाएगा। नोटिस जारी करते हुए अदालत ने प्रतिवादियों को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। इसके बाद दो हफ्ते के भी सरकार अपना जवाब दायर करेगी।
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा है कि अब सीपीएस से जुड़ी अलग-अलग राज्यों की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी। मामले की आगामी सुनवाई 20 जनवरी 2025 को होगी। गौर हो कि सुक्खू सरकार ने अर्की विधानसभा क्षेत्र से विधायक संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को सीपीएस नियुक्त किया था।
कपिल सिब्बल ने यह दी दलील
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अदालत को बताया कि हाईकोर्ट की ओर से 13 नवंबर को सीपीएस पर दिए गए फैसले का पैरा नंबर 50 अवैध और तर्कपूर्ण है। हाईकोर्ट ने इसमें कुछ भी साफ तौर पर नहीं कहा है। उन्होंने अदालत को बताया कि सीपीएस कानून की वैधता के सुप्रीम कोर्ट में और भी मामले लंबित हैं, जिन पर सुनवाई होनी है। सरकार और अन्य सीपीएस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, आनंद शर्मा, मुकुल रोहतगी और हिमाचल सरकार के महाधिवक्ता अनूप रतन और देवन खन्ना भी पेश हुए।
हाईकोर्ट ने 13 नंबर को निरस्त कर दिया था सीपीएस कानून
हिमाचल हाईकोर्ट ने 13 नवंबर को सीपीएस कानून 2006 को असांविधानिक घोषित किया था। कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदस्य अयोग्यता अधिनियम 1971 की धारा 3 (डी) को भी असांविधानिक करार दिया। इसके तहत सीपीएस पद को संरक्षण दिया गया था। फैसले के पैरा 50 के तहत विधायकों की सदस्यता को लेकर प्रदेश में संशय बन गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पैरा 50 पर स्पष्ट की स्थिति, विधायक बने रहेंगे
सरकार की ओर से जो कानून बनाया गया है, वह 1950 की कन्वेंशन पर आधारित है। शीर्ष अदालत ने प्रथम दृष्टया पाया कि जजमेंट का पैरा 50 गलत है। प्रदेश में जो छह सीपीएस बनाए गए थे, उनकी विधानसभा की सदस्यता बनी रहेगी। शीर्ष अदालत में पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, पंजाब, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों की याचिकाएं काफी समय से लंबित पड़ी हैं। इन सभी की सुनवाई अब एक साथ होगी- अनूप रतन, महाधिवक्ता, हिमाचल सरकार
महाधिवक्ता अनूप कुमार रतन ने ये कहा
महाधिवक्ता अनूप कुमार रतन ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिव के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता से संबंधित कार्रवाही पर रोक लगाते हुए कहा कि इस संबंध में आगे कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। रतन ने कहा, “हमने कोर्ट को यह भी आश्वासन दिया है कि निकट भविष्य में सीपीएस के लिए कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।” बता दें, हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के 18 वर्ष पुराने सीपीएस कानून 2006 को अवैध-असांविधानिक करार दिया है।
हिमाचल भवन कुर्क करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती CM Sukhu