महाभारत के अनुसार औदुम्बर विश्वामित्र के वंशज थे जो कौशिक गौत्र से संबंधित है। औदुम्बर राज्य के सिक्के काँगड़ा, पठानकोट, ज्वालामुखी, गुरदासपुर और होशियारपुर के क्षेत्रों में मिले हैं जो उनके निवास स्थान की पुष्टि करते हैं। ये लोग शिव की पूजा करते थे। पाणिनि के ‘गणपथ’ में भी औदुम्बर जाति का विवरण मिलता है। अदुम्बर वृक्ष की बहुलता के कारण यह जनपद औदुम्बर कहलाता है।
ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में औदुम्बरों के सिक्कों पर ‘महादेवसा’ शब्द मिला है जो ‘महादेव’ का प्रतीक है। सिक्कों पर त्रिशूल भी खुदा है। औदुम्बरों ने तांबे और चाँदी के सिक्के चलाए। औदुम्बर शिवभक्त और भेड़पालक थे जिससे चम्बा की गद्दी जनजाति से इनका संबंध रहा होगा।