हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक

हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को अनुबंध सेवाकाल का वरिष्ठता और वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा। साल 2003 से यह व्यवस्था लागू होने जा रही है। बुधवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस संदर्भ में सदन के पटल पर हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक रखा। वीरवार को सदन में चर्चा के यह विधेयक पारित होगा। इस विधेयक को लाने के पीछे एक प्रमुख चिंता राज्य पर पड़ने वाला संभावित वित्तीय बोझ है। अनुबंध सेवाकाल का लाभ देने से कर्मचारियों को न केवल अतिरिक्त संसाधनों का भारी आवंटन करना पड़ेगा, बल्कि पिछले 21 वर्षों से अधिक समय से वरिष्ठता सूची में भी संशोधन करना होगा।

विधेयक में सरकार कर रही महत्वपूर्ण बदलाव

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राज्य की कांग्रेस सरकार इस विधेयक के माध्यम से प्रदेश के कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है। विधेयक पारित होने के बाद कर्मचारियों को ज्वाइनिंग की तारीख से वरिष्ठता और वित्तीय लाभ नहीं मिलेंगे। कर्मचारियों की वरिष्ठता अब उनके नियमित होने के बाद तय की जाएगी। अनुबंध सेवाकाल को इसमें नहीं जोड़ा जाएगा। यह बदलाव विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए हैं जिनकी वरिष्ठता को लेकर पहले अदालत से आदेश जारी किए गए थे। इन आदेशों के चलते राज्य खजाने पर बोझ बढ़ने की संभावना थी।

विधेयक का उद्देश्य

विधेयक के अनुसार बिल का उद्देश्य नियमित सरकारी कर्मचारियों व अनुबंधित नियुक्तियों के हितों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। मुख्यमंत्री की ओर से स्थिति स्पष्ट की गई है कि यह विधेयक भारत के संविधान के अनुच्छेद-309 से अधिकार लेता है, जिसके तहत सार्वजनिक कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तों को नियंत्रित किया जाता है। हिमाचल में अनुबंध आधार पर नियुक्तियां 2003 में शुरू हुईं, जिसमें नियुक्ति पत्रों में सेवा शर्तों का स्पष्ट उल्लेख किया गया। कर्मचारियों को यह अवगत कराया गया था कि अनुबंध के तहत उनका कार्यकाल वरिष्ठता या नियमित कर्मचारियों को मिलने वाले अन्य लाभों के लिए नहीं गिना जाएगा।

कोर्ट के आदेशों पर देने पड़ रहे हैं वरिष्ठता के लाभ

सरकार के उच्च अधिकारियों ने बताया कि कोर्ट के माध्यम से कई कर्मचारियों को अनुबंध सेवाकाल का वरिष्ठता लाभ देना पड़ा है। रोजाना इस प्रकार के मामले कोर्ट में लग रहे हैं। ऐसे में सरकार को विधेयक लाकर इस व्यवस्था को बंद करना पड़ रहा है। ताज मोहम्मद बनाम लेखराज केस ने सरकार की इन दिनों परेशानी बढ़ाई हुई है। विधेयक पारित होने के बाद अनुबंध सेवाकाल से वरिष्ठता और वित्तीय लाभ देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

[sc_fs_multi_faq headline-0=”h2″ question-0=”हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक का उद्देश्य” answer-0=”विधेयक के अनुसार बिल का उद्देश्य नियमित सरकारी कर्मचारियों व अनुबंधित नियुक्तियों के हितों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। मुख्यमंत्री की ओर से स्थिति स्पष्ट की गई है कि यह विधेयक भारत के संविधान के अनुच्छेद-309 से अधिकार लेता है, जिसके तहत सार्वजनिक कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तों को नियंत्रित किया जाता है। हिमाचल में अनुबंध आधार पर नियुक्तियां 2003 में शुरू हुईं, जिसमें नियुक्ति पत्रों में सेवा शर्तों का स्पष्ट उल्लेख किया गया। कर्मचारियों को यह अवगत कराया गया था कि अनुबंध के तहत उनका कार्यकाल वरिष्ठता या नियमित कर्मचारियों को मिलने वाले अन्य लाभों के लिए नहीं गिना जाएगा। ” image-0=”1628″ count=”1″ html=”true” css_class=””]

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Author: Ram Bhardwaj