शिमला जिले में पिछले साल गर्मियों में टैंकर से पानी की आपूर्ति के नाम पर घपले के मामले में सरकार ने दोहरी जांच बैठा दी है। प्रदेश सरकार ने जहां अधीक्षण अभियंता (एससी) कसुम्पटी को जांच का जिम्मा सौंपा है। वहीं विजिलेंस ने भी प्रारंभिक जांच शुरू की दी है। विजिलेंस ने मामले की जांच के लिए अधिकारियों और ठेकेदारों को पूछताछ के लिए कार्यालय बुलाया है।
जिन लोगों को पानी पहुंचाया गया, उनसे भी पूछताछ होगी। विजिलेंस को आशंका है कि इस मामले में कुछ नेताओं की भी संलिप्तता हो सकती है। अधिकारियों और ठेकेदारों की फोन डिटेल खंगालने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
विजिलेंस का मानना है कि मामला गंभीर है। हर पहलू की बारीकी से पड़ताल होगी। यह घोटाला एक करोड़ का नहीं, ज्यादा का हो सकता है। हिमाचल में बहुचर्चित फर्जी डिग्री मामले की जांच करने वाले एएसपी नरवीर सिंह राठौर को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा गया है। अधिकारियों को निलंबित करने से पहले अधीक्षण अभियंता ने भी सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। इसमें भी गाड़ियों के नंबर गलत होना का जिक्र है।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री कह चुके हैं कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा। नीचे से लेकर ऊपर तक जो भी इस मामले में संलिप्त होगा, कड़ी कार्रवाई होगी। बताया जा रहा है कि निलंबित किए गए दो से तीन अधिकारियों की तीन-चार महीने बाद सेवानिवृत्ति है। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, इन्हें पेंशन और अन्य भत्तों से भी वंचित रहना पड़ेगा।
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