History of Himachal and Sultanate period (1206 AD-1526 AD)
सल्तनत काल में गुलाम वंश (1206-1290 ई.) और खिलजी वंश (1290-1320) ने पहाड़ी राज्यों पर खास ध्यान नहीं दिया। तुगलक वंश के सुल्तानों ने पहाड़ी क्षेत्रों पर अपना आधिपत्य जमाने का प्रयास किया।
(i) तुगलक वंश-
• मुहम्मद बिन तुगलक – 1337 ई. में मुहम्मद बिन तुगलक ने नगरकोट के राजा पृथ्वीचंद को पराजित करने के लिए सेना भेजी थी।
फिरोजशाह तुगलक (1351-1388)-
1360 ई. में काँगड़ा के राजा रूपचंद ने सेना लेकर दिल्ली तक के मैदानी भागों को लूटा। इससे क्रोधित होकर फिरोजशाह तुगलक (1351-1388 ई.) ने काँगड़ा के राजा रूपचंद को सबक सिखाने के लिए 1361 ई. में नगरकोट पर आक्रमण कर घेरा डाला। काँगड़ा अभियान और नगरकोट पर घेरे का जिक्र ‘तारीख-ए-फिरोज फरिस्ता’ और ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ में मिलता है। राजा रूपचंद और फिरोजशाह तुगलक का बाद में समझौता हो गया ओर नगरकोट पर से घेरा उठा लिया गया। रूपचंद ने फिरोजशाह तुगलक की अधीनता स्वीकार कर ली।
फिरोजशाह, तुगलक 1365 में समझौते के बाद ज्वालामुखी गया और 1300 संस्कृत पुस्तकों को फारसी में अनुवाद करवाने के लिए साथ ले गया। इन पुस्तकों का अनुवाद फारसी में प्रसिद्ध लेखक ‘अज्जुदीन खालिदखानी’ ने किया और पुस्तक का नाम ‘दलाई-ए-फिरोजशाही’ रखा। राजा रूपचंद की 1375 ई. में मृत्यु के बाद उसका पुत्र’ सागरचंद राजा बना। सागरचंद के शासनकाल में फिरोजशाह के बड़े बेटे नसीरुद्दीन ने काँगड़ा में 1389 ई. में शरण ली।
(ii) तैमूरलंग का आक्रमण –
1398 ई. में मंगोलों का आक्रमण तैमूरलंग के नेतृत्व में हुआ तैमूरलंग के आक्रमण के समय काँगड़ा का राजा मेघचंद था। तैमूरलंग ने वापसी में 1399 ई. में शिवालिक क्षेत्रों पर आक्रमण किया। तैमूरलंग के आक्रमण के समय हिण्डूर (नालागढ़) का शासक आलमचंद था जिसने तैमूरलंग की सहायता की जिसके फलस्वरूप तैमूरलंग हिण्डूर को हानि पहुँचाए बिना आगे बढ़ गया। उसने नूरपुर (धमेरी) के अलावा सिरमौर क्षेत्र पर आक्रमण किया जिसका विरोध रतन सिंह द्वारा किया गया।
• सैय्यद वंश और लोदी वंश ने भी पहाड़ी राज्यों पर आधिपत्य जमाने का कोई प्रयास नहीं किया।
हिमाचल इतिहास और सल्तनत काल