Mahlog Riyaasat – महलोग रियासत की स्थापना

महलोग रियासत की स्थापना अयोध्या से आये वीरचंद ने की थी। वीरचंद शुरू में पट्टा गाँव में रहने लगे और उसे अपनी राजधानी बनाया। उत्तम चंद ने सिरमौर के राजा से हारने के बाद महलोग रियासत की राजधानी 1612 ई. में ‘कोट धारसी’ में स्थानांतरित की। महलोग क्योंथल रियासत की जागीर थी

गोरखा आक्रमण- महलोग रियासत 1803 ई. से 1815 ई. तक गोरखों के नियंत्रण में रही। इस दौरान महलोग के शासक ठाकुर संसार चंद ने हण्डूर के राजा रामशरण के यहाँ शरण ली। ब्रिटिश सरकार ने 1815 ई. में महलोग को गोरखा आक्रान्ताओं से स्वतंत्रता दिलाई और स्वतंत्र सनद (4 सि. 1815 ई.) प्रदान की।

ब्रिटिश नियंत्रण-

ठाकुर संसार चंद की 1849 ई. में मृत्यु के बाद दलीप चंद (1849-1880) गद्दी पर बैठे। रघुनाथ चंद को ब्रिटिश सरकार ने ‘राणा’ का खिताब प्रदान किया। रघुनाथ चंद के पुत्र दुर्गा सिंह को (1902 ई. में) ब्रिटिश सरकार ने ‘ठाकुर’ का खिताब प्रदान किया। महलोग रियासत के अंतिम शासक ‘ठाकुर नरेन्द्र चंद’ थे।

Author: Ram Bhardwaj