Major fairs and festivals of Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश के प्रमुख मेले एवं त्योहार
• वैशाखी (13 अप्रैल)-
फसल से जुड़ा यह त्योहार शिमला, सिरमौर में विशु, किन्नौर में ‘बीस’, काँगड़ा में ‘विसोबा’ और चम्बा पांगी में ‘लिशू’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन मण्डी में लोग रिवालसर एवं पराशर झील में, बिलासपुर के लोग मारकंडा में, काँगड़ा घाटी के लोग बंगाना तथा शिमला के लोग तत्तापानी एवं गिरि-गंगा में स्नान करते हैं। शिमला, सिरमौर क्षेत्र में इस दिन माला नृत्य और धनुष बाण से ‘ठोण्डा नृत्य’ किया जाता है।
चेरवाल या पतरोडू’ का त्योहार
आग का त्योहार (मध्य-अगस्त में) ‘चेरवाल’ भादों मास की पहली तारीख को मनाया जाता है। इसमें चिड़े की पूजा करते हैं व चिड़े के गीत गाये जाते हैं। प्रथम असुज को चिड़े को उतारकर गोबर के ढेर पर फेंक दिया जाता है जहाँ से उसे खेतों में लाया जाता है। इसे पृथ्वी पूजा कहते हैं। कुल्लू में इस त्योहार को बदरांजो (भादों में मनाया जाने वाला त्योहार) कहा जाता है। इसे पशुपूजा के रूप में मनाया जाता है। उन्हें हल में जोता नहीं जाता। चम्बा में इस त्योहार को पतरोडू कहते हैं। इस उत्सव में ‘पतरोडू’ (अरबी के पत्ते) नामक पकवान बनाया जाता है।
• सायर (सैरी)-
काँगड़ा घाटी का प्रमुख त्योहार ‘सायर’ औसुज के पहले दिन मनाया जाता है। इस दिन वर्षा की समाप्ति मानी जाती है। इस अवसर पर मक्की की फसल पक कर तैयार हो जाती है। गद्दी लोग इस त्योहार को मनाने के बाद निचली घाटियों की ओर प्रस्थान करते हैं। शिमला की पहाड़ियों में नाई, गाँव के धनी लोगों को शीशा दिखाते हैं और धनी लोग उन्हें इनाम देते हैं।
• फुलैच-
यह उत्सव भादों के उत्तरार्द्ध (औसुज के प्रारंभ) में मनाया जाने वाला फूलों का त्योहार है। यह किन्नौर जिले में मनाया जाता है। इसे ‘उख्यांग’ भी कहा जाता है।