• गोची –
(गोटसी) चन्द्राभागा घाटी (लाहौल) में फरवरी माह में गोची त्योहार मनाया जाता है। जिन घरों में पिछले वर्ष पुत्र का जन्म हुआ होता है, उन्हीं घरों में यह त्योहार मनाया जाता है। यह एक प्रकार से पुत्र जन्म का त्योहार है।
• फागुली-
यह त्योहार बसंत पंचमी के दिन किन्नौर में मनाया जाता है जिसमें कागज पर बने रावण के चित्रों पर लोग बाणों से निशाना लगाते हैं जिसे लंका मारना या लंका दहन कहते हैं। यह त्योहार कुल्लू जिले में फरवरी-मार्च में मनाया जाता है।
• साजो-
‘साजो’ त्योहार का संबंध देवताओं की विदाई से है। देवता इस दिन मंदिर से इंद्रलोक चले जाते हैं। इस दिन मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं। यह त्योहार माघ के अंत में या फाल्गुन माह में आता है। इसे कहीं-कहीं पर नववर्ष का त्योहार भी माना जाता है। महासू और रडनू को लोगों की राक्षसों से रक्षा के लिए देवता गाँव में छोड़ जाते हैं। देवता इस दिन घर-घर ‘धूप पीने’ जाते हैं। धूप के गूर (देवता के चेले) भविष्यवाणी करते हैं।