हिमाचल प्रदेश के प्रमुख मेले एवं त्योहार

• कुल्लू का दशहरा –

 

सप्ताह भर चलने वाले इस मेले का प्रारंभ कृष्ण पक्ष के दसवें दिन अर्थात् दशहरे के दिन होता है। मेले के पहले दिन भगवान रघुनाथ की मूर्ति को रथ पर बिठाकर ढालपुर मैदान में लाया जाता है। यह मेला सातवें दिन बलि, अनुष्ठान व लंका दहन से समाप्त होता है। मेले के अंत में रघुनाथ जी की मूर्ति को वापस सुल्तानपुर के मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है।

 

यह मूर्ति 1651 ई. में दामोदर दास द्वारा कुल्लू में लाई गई थी जिसकी स्थापना कुल्लू के राजा जगत सिंह ने की थी। वैरागी कृष्णदास (वैष्णव संप्रदाय से संबंधित) ने वर्ष में एक बार दशहरे के दिनों में ग्राम देवताओं को कुल्लू में उपस्थित करवाकर रघुनाथ जी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करवाने की प्रथा चलवाई।

 

• नलवाड़ी मेला-

 

बिलासपुर के गोविंद सागर झील के किनारे प्रतिवर्ष चैत्र मास की चौथी तिथि को यह मेला शुरू होता है। इस मेले का आरंभ शिमला के पहाड़ी राज्यों के सुपरिंटेंडेंट (अधीक्षक) श्री गोल्डस्टीन ने 1889 में करवाया था। यह एक प्रकार से पशुओं का मेला है।

 

• अन्य मेले एवं त्योहार –

 

बंजार मेला एवं भुई मेला बंजार (कुल्लू) में मई और जून माह में लगता है। सरही जातरा मई माह में नग्गर (कुल्लू) में मनाया जाता है। रोहडू जातर शिकरू देवता के सम्मान में वैशाख माह (अप्रैल) तथा रामपुर जातर जुलाई माह में शारी के वानर देवता के सम्मान में आयोजित किया जाता है। बावन द्वादशी का मेला सिरमौर के नाहन में सितंबर माह में महादानी बलि के सम्मान में आयोजित किया जाता है। इसे 1898 में शमशेर प्रकाश ने शुरू किया।

MINJAR
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हिमाचल में गुग्गा नवमी के मेले अगस्त मास में मनाए जाते हैं। रक्षाबंधन के दिन गुग्गा मण्डली गाँव-गाँव जाकर गुग्गा गाथा कां गुणगान करती है। चामुण्डा जातर (चम्बा में) अप्रैल में, नाग मेला, जून में बनिखेत में, कुगती जातर, चम्बा में, सितम्बर में, मैहला जातर, चम्बा में, अप्रैल में ठरशू मेला रामपुर में अप्रैल-मई में, तकोली मेला जून में, मण्डी में, भियुली मेला अप्रैल में मण्डी में आयोजित किया जाता है। सिरमौर के क्वागधार में नवम्बर में भूरेश्वर महादेव का मेला लगता है।

 

पंजगोत्रा मेला ऊना के बभौर साहिब में लगता है। पीर निगाह मेला ऊना जिले के बशोली में लगता है। नहोल त्योहार निचले हिमाचल में ज्येष्ठ माह में मनाया जाता है.. जबकि नाग पंचमी का त्योहार श्रावण माह में मनाया जाता है। ज्येष्ठ माह के उजाले पखवाड़े की एकादशी को ‘निर्जला एकादशी’ मनायी जाती है। सिस्सु बौद्ध त्योहार तीन अलग-अलग माह में मनाया जाता है। श्रीखण्ड महादेव यात्रा (कुल्लू) आषाढ़ माह की पूर्णिमा से प्रारंभ होती है।

हिमाचल प्रदेश के प्रमुख मेले एवं त्योहार

 

Author: Ram Bhardwaj