Modern History of Himachal Pradesh – Sikh Empire and Hill States

(vii) प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध (1845-46 ई.) –

महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद 1845-46 ई. में सिक्खों और अँग्रेजों के मध्य एक भयंकर युद्ध हुआ।

लार्ड हार्डिंग प्रथम इस समय भारत के गवर्नर जनरल थे।

• युद्ध के कारण-

• महाराजा रणजीत सिंह और अँग्रेजों के दौर में तनाव उत्पन्न होते रहना।
• रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद सिक्ख सेना का शक्तिशाली हो जाना।
• रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद सतलुज के किनारे अँग्रेजों की सैनिक गतिविधि बढ़ना।
• रणजीत सिंह की माँ रानी जिंदा का सिख सेना को अँग्रेजों से लड़वाकर कमजोर करने की मंशा।
• सिख सेना का दिसम्बर 1845 ई. में सतलुज पार कर अँग्रेजी क्षेत्रों में घुसपैठ करना।
• युद्ध की घटनाएँ-13 दिसम्बर, 1845 ई. को अँग्रेजों और सिक्खों के मध्य पहला युद्ध लड़ा गया जो तीन माह पश्चात् समाप्त हुआ।

• सबराओं का युद्ध (10 फरवरी, 1846 ई.) –

यह सिक्खों और अँग्रेजों में अंतिम और निर्णायक युद्ध था। सिक्खों की ओर से शाम सिंह अटारीवाला की मृत्यु के बाद यह युद्ध समाप्त हुआ। ब्रिटिश सेना ने सतलुज नदी पार कर 20 फरवरी, 1846 ई. को लाहौर पर अधिकार कर लिया।

• युद्ध का परिणाम-‘ अँग्रेजों ने अफगानिस्तान और भारत के बीच पंजाब को बफर राज्य बनाए रखने के उद्देश्य से संपूर्ण राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में नहीं मिलाया। दूसरे अँग्रेजों के पास इसे काबू में रखने के लिए उतनी बड़ी सेना भी नहीं थी। प्रथम सिख युद्ध को समाप्ति के बाद 9 मार्च, 1846 ई. को लाहौर की संधि हुई।

Author: Ram Bhardwaj