Modern History of Himachal Pradesh – Sikh Empire and Hill States

(D) रणजीत सिंह और अन्य पहाड़ी राज्य- Ranjit Singh and other hill states

1813 ई. में रणजीत सिंह ने हरिपुर (गुलेर) का राज्य छीन लिया। उसके राजा भूपसिंह को लाहौर में बन्दी बना लिया गया। 1815 ई. में जसवाँ रियासत पर कब्जा किया गया क्योंकि जसवाँ के राजा उम्मेद सिंह ने भारी जुर्माना देने के बजाए 12000 रुपये में जागीर स्वीकार कर ली। नूरपुर राज्य पर भी सियालकोट (1815) में अनुपस्थित रहने के लिए जुर्माना लगाया गया (जसवां की तरह)। राजा वीर सिंह ने जुर्माना अदा करने की कोशिश की।

 

वीर सिंह जुर्माना अदा न कर सका। उसे जागीर लेने का प्रस्ताव दिया गया जिसे लेने से उसने मना कर दिया और सिक्खों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया तथा पहाड़ी रास्ते से अँग्रेजी इलाके में चला गया। नूरपुर पर रणजीत सिंह का कब्जा हो गया। वीर सिंह को 1826 ई. में गिरफ्तार कर अमृतसर भेज दिया गया। जहाँ से 7 वर्ष बाद चम्बा के राजा ने जुर्माना भर कर उसे छुड़वाया। सिखों ने 1825 ई. में कुटलेहड़ पर कब्जा कर लिया।

 

1818 ई. में दत्तारपुर के राजा की मृत्यु पर सिखों ने दत्तारपुर पर कब्जा कर लिया और बदले में उसके उत्तराधिकारियों को होशियारपुर में जागीर दी गई। सिब्बा राज्य पर 1809 ई. में रणजीत सिंह का कब्जा हो गया था। ध्यानसिंह के कहने पर रणजीत सिंह ने 1830 ई. में गोविंद चंद को राज्य लौटा दिया. क्योंकि उसने ध्यान सिंह के पुत्रों से सिब्बा परिवार की राजकुमारियों का विवाह करवाया था। मण्डी रियासत 50 हजार रुपये से 1 लाख रुपये सलाना कर रणजीत सिंह को देती थी। कुल्लू रियासत भी 50 हजार रुपये वार्षिक कर रणजीत सिंह को देती थी।

 

चम्बा रियासत भी चढ़त सिंह के शासन में रणजीत सिंह के प्रभुत्व में आ गई परंतु चम्बा के राजा की स्वतंत्रता कायम रही। सिरमौर रियासत के नारायणगढ़ पर भी सिखों ने कब्जा कर लिया था। 1839 ई. में रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई।

Author: Ram Bhardwaj