(viii) द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1848-49 ई.)
• द्वितीय सिक्ख युद्ध के कारण सिक्ख अपनी पहली हार का बदला लेना चाहते थे। वहीं लार्ड डलहौजी सिक्ख राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाना चाहते थे। जिसके कारण प्रथम सिक्ख युद्ध के दो वर्ष बाद ही दूसरा सिक्ख युद्ध हो गया।
• युद्ध की घटनाएँ-
• अँग्रेज सेनापति लॉर्ड गफ और सिक्ख सरदार शेरसिंह के बीच 22 नवम्बर, 1848 ई. को रामनगर की लड़ाई हुई जिसमें हार-जीत का फैसला नहीं हुआ।
• 13 जनवरी, 1949 ई. को चिलियांवाला की लड़ाई में दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ। अँग्रेजों ने लार्ड गफ के स्थान पर चार्ल्स नेपियर को कमाण्डर बनाकर भेजा।
• लार्ड गफ ने चार्ल्स नेपियर के पहुँचने से पहले गुजरात की लड़ाई (21 फरवरी 1849 ई) में सिक्खों को हरा दिया। इस युद्ध को ‘तोपों’ का युद्ध भी कहते हैं। मुल्तान की विजय के बाद जनरल विश की सेना के मिलने से लार्ड गफ की सेना 2.50 लाख हो गई और निर्णायक विजय प्राप्त कर सकी। अफगानिस्तान के शासक दोस्त मुहम्मद के लड़के अकरम खान ने सिक्खों का साथ दिया। सिक्खों ने 13 मार्च, 1849 ई. को हथियार डाल दिए।
युद्ध का परिणाम
• सिक्ख साम्राज्य को 29 मार्च, 1949 ई. को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया।
• महाराजा दिलीप सिंह को 50 हजार पौण्ड वार्षिक पेंशन पर इंग्लैण्ड भेज दिया गया।
Modern History of Himachal Pradesh – Sikh Empire and Hill States