पंचायती राज
(1) 73वें संविधान संशोधन से पूर्व हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज का स्वरूप
• 1952 से 1956 से पूर्व हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज का स्वरूप
भारत सरकार ने 1952 में भारत में सामुदायिक विकास योजनाएं आरम्भ की। हिमाचल प्रदेश में सर्वप्रथम पंजाब ग्राम सभा अधिनियम 1952 लागू था, जिसके अन्तर्गत् यहाँ 1954 से ग्राम स्तर पर लगभग 600 ग्राम पंचायतें तथा इतनी ही न्याय पंचायतें स्थापित थीं।
हिमाचल प्रदेश में तहसील पंचायतें तथा जिला पंचायतें स्थापित की गई थीं। ग्राम पंचायतों को कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ प्राप्त थीं. जब कि न्याय पंचायतों को न्यायिक अधिकार प्राप्त थे।
1957 से 1966 से पूर्व हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज का स्वरूप
1957 में राज्य को बिना राज्य विधानमंडल वाले संघ राज्य क्षेत्र का दर्जा प्राप्त हुआ तथा राज्य विधान मंडल का स्थान क्षेत्रीय परिषद् को मिल गया। परिणामस्वरूप जिला पंचायतों को सौंपे गए अधिकतर कार्य क्षेत्रीय परिषद् ने अपने हाथ में ले लिये।
तत्पश्चात् बलवंत राय मेहता समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार जिला स्तर पर तदर्थ जिला परिषदों की स्थापना की गई। यह निकाय सलाहकारी स्वरूप का था और जिले के उपायुक्त को इसका अध्यक्ष बनाया गया।
नवम्बर, 1966 में राज्यों का पुनर्गठन किया गया इसी आधार पर पूर्ववर्ती पंजाब राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों का हिमाचल के साथ विलय कर दिया गया। इस समय हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में दो भिन्न-भिन्न अधिनियम लागू थे। पंजाब ग्राम पंचायत अधिनियम, 1952 तथा दूसरा पंजाब पंचायत समिति तथा जिला परिषद् अधिनियम 1961. हिमाचल के इस पुनर्गठन के फलस्वरूप यहाँ पंचायत की संख्या लगभग 1900 पहुंच गई।
Mukhyamantri Swavalamban Yojana(MSY)
History of Himachal : post-Gupta period (Huna, Harshvardhan)
Panchayati Raj in Himachal