Panchayati Raj in Himachal : हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1968

Himachal Pradesh Panchayati Raj Act 1968 /

 

राज्य के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज को सुदृढ़ करने हेतु हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1968 पारित किया गया, जिसे 15 नवम्बर, 1970 को लागू किया गया। हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1968 के अनुसार गाँवों में ग्राम पंचायतों, खण्ड स्तर पर पंचायत समितियों तथा जिला स्तर पर जिला परिषदों की स्थापना का प्रावधान किया गया।

 

Panchayati Raj in Himachal
Panchayati Raj in Himachal

साथ ही त्रिस्तरीय ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए अधिनियम में संशोधन किया गया तथा जिला परिषदों को वित्तीय, प्रशासनिक तथा कार्यकारी शक्तियाँ सौंप दी गई। उन्हें निगमित निकाय बना दिया गया, जिनके पास सम्पत्ति अधिग्रहित करने, प्राप्त करने तथा बिक्री करने के अधिकार थे, अपनी निधियाँ थीं तथा कार्य करने के लिए कर्मचारी थे।

 

1972-73 के ग्राम पंचायतों के चुनावों में प्रदेश में 2038 ग्राम पंचायतों तथा इतनी ही न्याय पंचायतों की स्थापना की गई। 1968 के अधिनियम के अनुसार सम्पूर्ण प्रदेश में एक या एक से अधिक गाँवों के लिए ग्राम पंचायत की व्यवस्था की गई तथा न्याय पंचायतों की संख्या ग्राम पंचायतों की संख्या के बराबर निश्चित कर दी गई।

 

न्याय पंचायत में पांच से सात तक पंच होते थे, जिनमें एक सरपंच तथा एक नायब-सरपंच शामिल थे। नायव पंचों का चुनाव ग्राम पंचायत के सदस्य द्वारा निश्चित किया गया था, जब कि सरपंच और नायब सरपंच का चुनाव न्याय पंचयात के सदस्यों ने अपनों में से ही करना था।

 

• न्याय पंचायतों की समाप्ति मार्च

 

1978 से पहले राज्य में पृथक् पृथक् न्याय पंचायतें कार्यरत थीं और न्यायिक कार्यों का निपटान कर रही थीं लेकिन, हिमाचल प्रदेश पंचायती राज (संशोधन) अधिनियम, 1977 के होने के साथ ही 20 मार्च, 1978 से न्याय पंचायतों को समाप्त कर दिया गया और ग्राम पंचायतों को उप-न्यायिक कार्यों का निपटारा करने का दायित्व दिया गया जिसे सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित करना था।

 

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Panchayati Raj in Himachal  : Himachal Pradesh Panchayati Raj Act 1968

Author: Ram Bhardwaj