■ शिक्षा सिद्धान्त की आलोचना criticism of education theory
प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की अनेक आधारों पर आलोचना की जाती है,
प्लेटो की शिक्षा योजना में सभी वर्गों की शिक्षा के लिए व्यवस्था नहीं है।
प्लेटो की शिक्षा योजना में साहित्य को बहुत कम महत्त्व दिया गया है, तथा कला और
साहित्य पर अनुचित नियन्त्रण की व्यवस्था की गई है।
प्लेटो की शिक्षा योजना सैद्धान्तिक अधिक और व्यावहारिक कम है।
प्लेटो की शिक्षा योजना लम्बी, उबाऊ और खर्चीली है।
प्लेटो की शिक्षा योजना अत्यधिक केन्द्रीकृत है।
यद्यपि प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त में अनेक कमियाँ हैं तथापि इसमें ऐसे निम्नलिखित अनेक आधुनिक तत्त्व है जो वर्तमान युग में भी प्रासंगिक हैं,
• प्लेटो शिक्षा का मूल उद्देश्य नैतिकता और सद्गुणों का विकास करने को मानता है। वर्तमान युग में नैतिकता का ह्रास हो रहा है, ऐसे में प्लेटो के उद्देश्य को पुनः अपनाने की आवश्यकता है।
•प्लेटो का यह कथन कि शिक्षा मानसिक रोग का मानसिक उपचार है, आज भी यूनेस्को की प्रस्तावना का आधार बना हुआ है जिसमें लिखा है कि युद्ध मनुष्य के मस्तिष्क में जन्म लेते हैं। यदि शिक्षा द्वारा मनुष्य के मस्तिष्क में शान्ति स्थापित कर दी जाए तो स्थायी अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति की स्थापना सम्भव है।
• प्लेटो का शिक्षा सिद्धान्त हमें बताता है कि शासक को शिक्षित, सर्वगुण सम्पन्न और सद्गुणी होना चाहिए, यह आज के सन्दर्भ में भी प्रासंगिक है।
• प्लेटो अपनी शिक्षा योजना को वर्तमान युग के अनुरूप स्त्री-पुरुष दोनों पर बल देता है।
प्लेटो का शिक्षा सिद्धान्त शारीरिक और मानसिक दोनों की शिक्षाओं पर बल देता है, जो आज की शिक्षा व्यवस्था के लिए आदर्श का कार्य कर सकता है।
• प्लेटो का यह कहना सत्य प्रतीत होता है कि शिक्षा द्वारा न्याय की स्थापना समाज में सम्भव है।