प्लेटो के साम्यवाद सम्बन्धी विचार Plato’s ideas about communism
प्लेटो अपनी पुस्तक रिपब्लिक में न्याययुक्त आदर्श राज्य की स्थापना के लिए शिक्षा के साथ-साथ साम्यवाद पर बल देता है। प्लेटो का कहना है कि शिक्षा द्वारा उत्पन्न सद्गुण विपरीत वातावरण में नष्ट हो सकते हैं। अतः अभिभावक वर्ग में सद्गुणों को बनाए रखने के लिए उचित वातावरण निर्माण हेतु साम्यवाद की भी आवश्यकता है।
प्लेटो का कहना है- “शिक्षा द्वारा उत्पन्न सद्गुण विपरीत वातावरण में नष्ट हो सकते हैं, अतः शिक्षा के सद्गुणों को बनाए रखने के लिए साम्यवाद आवश्यक है।” प्लेटो शासकों और सैनिकों के लिए सामूहिक रूप से राज्य के अभिभावक शब्द का इस्तेमाल करता है।
प्लेटो अभिभावक के लिए दो प्रकार के साम्यवाद की व्यवस्था करता है
■ सम्पत्ति का साम्यवाद communism of property
प्लेटो सम्पत्ति के साम्यवाद को स्पष्ट करते हुए कहता है कि उनके (अभिभावक वर्ग) पास केवल उतनी ही व्यक्तिगत सम्पत्ति रहेगी जितनी जीवन यापन करने के लिए परम आवश्यक है। दूसरी बात यह है कि उनके पास कोई ऐसा आवास अथवा भण्डार नहीं होगा जो सबके लिए खुला नहीं हो। उन्हें सोने या चाँदी को स्पर्श करना भी निषेध होगा। प्लेटो सम्पत्ति विषयक साम्यवाद का निम्न आधारों पर समर्थन करता है
• प्लेटो के अनुसार सम्पत्ति व्यक्ति में भोग की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है
और व्यक्ति की आत्मा पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
• सम्पत्ति व्यक्ति को स्वार्थी बनाती है जिससे उसका विवेक व साहस
कुण्ठित हो जाता है।
• प्लेटो के अनुसार, सम्पत्ति के अधिकार के साथ शासन का आधार योग्यता के स्थान पर धन सम्पत्ति ले लेगी।
• निजी सम्पत्ति के अन्त के साथ शासक वर्ग में सम्पत्ति को लेकर आपसी प्रतियोगिता व ईर्ष्या समाप्त हो जाएगी, जिससे राज्य में एकता बनी रहेगी।
• सम्पत्ति के साम्यवाद शासक अपना समस्त समय और ध्यान अपनी कार्य
कुशलता की वृद्धि में लगा सकते हैं।
परिवार का साम्यवाद family communism
प्लेटो का मत है कि परिवार का मोह धन के मोह से अधिक प्रबल होता है और मनुष्य इसके लिए अनेक प्रकार के अनुचित और अनैतिक कार्य करने के लिए भी तैयार हो जाता है। परिवार के उन्मूलन के पक्ष में प्लेटो का एक तर्क और है, वह है नारी जाति की विमुक्ति। प्लेटो के समय यूनान में नारी जाति की दशा अत्यन्त शोचनीय थी। वे घर की चाहरदीवारी तक ही सीमित थी,
प्लेटो की मान्यता थी कि नारी जाति के उत्थान के लिए उनका कार्यक्षेत्र अधिक व्यापक और विस्तृत होना चाहिए। यह तभी सम्भव है जब परिवार अथवा विवाह व्यवस्था को ही समाप्त कर दिया जाए। प्लेटो स्त्री और पुरुषों में कोई आधारभूत भेद स्वीकार नहीं करता। इसीलिए इस सिद्धान्त का स्वरूप बताते हुए प्लेटो कहता है-
“संरक्षक स्त्री पुरुषों में कोई भी अपना निजी घर नहीं बनाएगा। शासक स्त्रियाँ सब शासक पुरुषों की समान रूप से पत्नियाँ होंगी। इनकी सन्तानें भी समान रूप से सबकी होंगी और न तो माता-पिता अपनी सन्तान को जान सकेंगे और न सन्तान माता पिता को।”
प्लेटो परिवार के साम्यबाद का निम्न आधारों पर समर्थन करता है
• इससे स्त्रियाँ भी मुक्त होकर प्रशासन कार्य में भाग ले सकेंगी।
• परिवारों में संघर्ष का अन्त होगा। अन्ततः राज्य की एकता में वृद्धि होगी।
• प्लेटो के अनुसार श्रेष्ठ सन्तानों की प्राप्ति इससे सम्भव होगी।
• अभिभावक जनसंख्या सन्तुलन का कार्य कर सकेंगे।
• अभिभावक पारिवारिक कार्यों से स्वतन्त्र होकर राज्य के लिए कार्य कर सकेंगे। अतः इससे अभिभावक वर्ग की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी।
इस प्रकार स्पष्ट है कि प्लेटो साम्यवाद का विस्तारपूर्वक विवेचन करता है, इसी कारण मैक्सी जैसे विचारक प्लेटो को प्रथम आधुनिक साम्यवादी कहते हैं।