प्लेटो के साम्यवाद की अरस्तू द्वारा आलोचना Aristotle’s criticism of Plato’s communism
• प्लेटो की सम्पत्ति विषयक साम्यवाद की योजना समाज में संघर्ष और फूट
की प्रवृत्ति को बढ़ाने वाली है।
• प्लेटो का साम्यवाद विविधतापूर्ण नहीं है, और बिना विविधता के
बौद्धिकता का विकास नहीं हो सकता।
• प्लेटो ने सम्पत्ति के गुणों की अवहेलना की है, जबकि अरस्तू सम्पत्ति को
एक गुण और एक प्रेरणाशक्ति मानते हैं।
• प्लेटो का सम्पत्ति सम्बन्धी साम्यवाद ऐतिहासिक आधार पर भी दोषपूर्ण है। क्योंकि समाज ने इसे स्वीकार नहीं किया।
इससे उत्पादन और वितरण में एक-सा अनुपात नहीं रहता।
• प्लेटो का सम्पत्ति का साम्यवाद अव्यावहारिक है।
• व्यक्तित्व और परिवार को कुचल कर एकता की स्थापना के प्रयत्नों को
उचित नहीं कहा जा सकता।
• स्त्रियों के सामूहिक स्वामित्व की योजना से यौन क्षेत्र में अराजकता उत्पन्न हो जाएगी।
• परिवार या स्त्री सम्बन्धी साम्यवाद मानव नैतिकता और पवित्रता पर
भीषण आघात करने वाला है।
• सार्वजनिक रूप से बच्चों का भरण-पोषण और शिक्षा की समुचित
व्यवस्था नहीं की जा सकती है।
• राज्यों को वर्गों में विभक्त कर प्लेटो स्वयं ही उसकी एकता को
अस्त-व्यस्त करता है।
• प्लेटो के साम्यवाद में उत्पादक वर्ग की उपेक्षा की गई है, जो जनसंख्या का अधिकांश भाग होता है।
प्लेटो का साम्यवाद प्रतिक्रियागामी है।
• राज्य द्वारा श्रेष्ठ स्त्री-पुरुषों के समागम की योजना सर्वथा अव्यावहारिक है।