Revolt of 1857 : काँगड़ा क्षेत्र की गतिविधियाँ
14 मई, 1857 ई. को विद्रोह की सूचना काँगड़ा के डिप्टी कमिश्नर मेजर रेयनैल टेलर को धर्मशाला में प्राप्त हुई। काँगड़ा किला मेजर पैटरसन की कमाण्ड में 4-नेटिव इनफैन्ट्रो देशी सेना के अधिकार में था। इस रेजीमेंट में विद्रोह के डर से अँग्रेज अफसर किले को वफादार सेना के कब्जे में लाना चाहते थे। कांगड़ा के डिप्टी कमिश्नर मेजर रैयनैल टेलर ने पुलिस बटालियन की सुरक्षा में काँगड़ा किले में जाकर शरण ले ली जिससे धर्मशाला में नाजुक स्थिति पैदा हो गई।
23 मई, 1857 ई. से पंजाब के ज्यूडीशियल कमिश्नर, रॉबर्ट मॉंटगोमरी के आदेशानुसार पूरे काँगड़ा क्षेत्र में साधुओं, फकीरों, भिखारियों और पर्यटकों का आना-जाना बन्द कर दिया गया। डिप्टी कमिश्नर टेलर ने ‘शेरदिल पुलिस बटालियन’ के 100 जवानों को लेकर नूरपुर विद्रोह को दबाने के लिए कूच किया, परंतु उनके पहुँचने से पहले ही 4 नेटिव इनफैन्ट्री के स्थानीय कमाण्डर मेजर बिल्की ने देशी सैनिकों को हथियार छोड़ने के लिए सहमत करवा लिया।
इस प्रकार अँग्रेजों ने नूरपुर और काँगड़ा के किलों को पूर्ण रूप से अपने अधिकार में ले लिया। सुजानपुर टीहरा का कटोच राजा प्रताप चंद भी गुप्त रूप से अपने किले में क्रांति की तैयारी कर रहा था जिसमें उसकी मदद टीहरा का क्रांतिकारी थानेदार कर रहा था।
Revolt of 1857 : Kangra region activities
1857 का विद्रोह : पहाड़ी रियासतों का सहयोग
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