Revolt of 1857 : Role of Ramprasad Bairagi (रामप्रसाद बैरागी)
शिमला में गुप्त संगठन अँग्रेजों के विरुद्ध कार्य कर रहा था जिसके नेता थे राम प्रसाद बैरागी। अम्बाला के कमिश्नर जी.सी. बार्तस ने इम संगठन के कुछ पत्र 12 जून. 1857 ई. को पकड़े जो रामप्रसाद बैरागी ने नसीरी बटालियन के सूबेदार को सहारनपुर तथा महाराजा पटियाला के वकील को अँग्रेजों का विरोध करने के लिए भेजे थे।
रामप्रसाद बैरागी को गिरफ्तार कर अंबाला जेल ले जाया गया और वहाँ उसे फौसी दे दी। बुशहर रियासत का रूख बुशहर रियासत ने 1857 ई. के विद्रोह के समय अँग्रेजों का साथ नहीं दिया।
बुशहर के राजा शमशेर सिंह ने अँग्रेजों को 15.000 रुपये वार्षिक नजराना देना बंद कर दिया तथा उन्हें किसी भी प्रकार की आर्थिक एवं सैनिक सहायता प्रदान नहीं की और रियासत को स्वतंत्र घोषित कर दिया। अँग्रेज अफसरों, कर्मचारियों, पर्यटकों और व्यापारियों के प्रति प्रतिकूल रवैया अपनाया गया।
शिमला के डिप्टी कमिश्नर विलियम हे और पहाड़ी रियासतों के पोलीटिकल एजेन्ट बुशहर के राजा के विरुद्ध कार्यवाही करना चाहते थे परंतु सेना की कमी और हिन्दुस्तान-तिब्बत सड़क के निर्माण की वजह से राजा के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं कर सके।
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