कुल्लू क्षेत्र में बगावत
कुल्लू क्षेत्र में जनक्रांति की योजना का नेतृत्व स्थानीय युवराज प्रताप सिंह (कुल्लू के राजा किशन सिंह के पुत्र) ने किया। वह 1846 ई. में सिक्ख अँग्रेजों के बीच मुदकी अलिवाल युद्ध में अँग्रेजों के विरुद्ध लड़ते हुए घायल होकर सिराज पहुँचा और कुछ समय बाद स्वस्थ हो गया।
अँग्रेज उसे मरा समझते थे। उसने 16 मई, 1857 ई. में सारे सिराज क्षेत्र में आजादी की भावना जागृत की जिसमें उसका मुख्य सलाहकार व सहयोगी उनका साला मियाँ वीर सिंह (बैजनाथ, काँगड़ा का निवासी) था। प्रताप सिंह और उसके साथी बोर सिंह को गिरफ्तार कर धर्मशाला में 3 अगस्त, 1857 ई. को फाँसी दे दी गई।
Revolt of 1857 : rebellion in kullu region
1857 का विद्रोह : पहाड़ी रियासतों का सहयोग
Revolt of 1857 : Ramprasad Bairagi (रामप्रसाद बैरागी) की भूमिका