सायर (सैरी)- Sawyer’s Festival
यह त्यौहार फसलों की कटाई के अंत को चिह्नित करने और आगे आने वाली लंबी और कठोर सर्दियों की तैयारी के लिए मनाया जाता है। त्यौहार का यह समय इस विश्वास के लिए भी जाना जाता है कि त्यौहार के इस समय देवता पृथ्वी से स्वर्ग लौटते हैं
काँगड़ा घाटी का प्रमुख त्योहार ‘सायर’ औसुज के पहले दिन मनाया जाता है। इस दिन वर्षा की समाप्ति मानी जाती है। इस अवसर पर मक्की की फसल पक कर तैयार हो जाती है। गद्दी लोग इस त्योहार को मनाने के बाद निचली घाटियों की ओर प्रस्थान करते हैं।
शिमला की पहाड़ियों में नाई, गाँव के धनी लोगों को शीशा दिखाते हैं और धनी लोग उन्हें इनाम देते हैं।
फुलैच उत्सव
यह उत्सव भादों के उत्तरार्द्ध (औसुज के प्रारंभ) में मनाया जाने वाला फूलों का त्योहार है। यह किन्नौर जिले में मनाया जाता है। इसे ‘उख्यांग’ भी कहा जाता है।