Sources of History of Himachal Pradesh

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3) आद्यऐतिहासिक (सिंधु सभ्यता के समय) हिमाचल के निवासी-

कोल-

कोल हि.प्र. के मूल निवासी हैं जिन्होंने नव पाषाण युगीन संस्कृति की नींव डाली थी। पश्चिमी हिमालय में वर्तमान के कोली, हाली, डूम. चनाल, बाढी आदि लोग कोल जाति में से ही हैं। कोल जाति का हि.प्र. में बसने का पता कुमाँऊ की चन्देश्वर घाटी की च‌ट्टानों से मिलता है।

किरात-

किरात (मंगोल) कोल जाति के बाद यहाँ आने वाली दूसरी जाति थी। ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें ‘शिश्नदेव’ (लिंग देवता की पूजा करने वाले) कहा है। महाभारत में किरातों को हिमालय के निवासी बताया गया है। वनपर्व (महाभारत) के अध्याय 140 में इनके निवास का वर्णन मिलता है। किरातों को पहाड़ी तलहटी से ऊँचे पर्वतों की तरफ भगाने वाले खश थे। मनु ने भी किरातों का वर्णन किया है। कालिदास के रघुवंश में किन्नरों का उल्लेख मिलता है।

 

 

नाग-

इस जाति के लोग हिमाचल की पहाड़ियों में हर जगह बसते थे। मण्डी के पंचवक्त्र शिव मंदिर में नागों की 10 फुट ऊंची मूर्तियाँ हैं। हड़प्पा सभ्यता की मुहरों में नाग देवता को दिखाया गया है। महाभारत में अर्जुन ने नाग राजा वासुकी की ऊलोपी नामक नाग कन्या से गंधर्व विवाह किया था। वासुकी नाग की पूजा चम्बा, कुल्लू आदि में की जाती है। तक्षक नाग ने हिमालय में नाग राज्य स्थापित किया था।

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